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मदिरा सवैया




मदिरा सवैया


प्रातः काल उठो प्रभु के चरणों पर आपन शीश झुके।


देखि सुहावनि निर्मल मूरत प्रेममयी खुद माथ टिके।


वंधन में प्रभु के रहना उनका अभिनंदन ही मन के।


नाचत ब्रह्म कमण्डल ले हर जीव सुखाकुल दर्शन के।


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2 Comments

Renu

23-Jan-2023 04:45 PM

👍👍🌺

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अदिति झा

21-Jan-2023 10:33 PM

Nice 👍🏼

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